आध्यात्मिक कहानी । दूसरों के लिए गड्ढा खोदोगे, तो खुद गिरोगे

adhyatmi kahani

एक भक्त कई वर्षों से भगवान की नित्य प्रार्थना कर रहा था । एक दिन भगवान उसकी प्रार्थना से खुश हो गये, और उसे दर्शन दिए । वह भक्त से बोले, “मैं तुझ से प्रसन्न हूं, जो भी चाहे वरदान मांग लो । पर एक शर्त है कि तू जो मांगेगा, उससे ठीक दूना पड़ोसी को मिलेगा ।” अब भक्त सोच में पड़ गया । उसका वर मांगने का उत्साह ही फीका पड़ गया ।

वह तो सोच रहा था कि वर लेकर पड़ोसियों को पीछे कर दूंगा । यहां भगवान ने सारी बात की खराब कर दी । यदि चार मंजिला भवन अपने लिए मांगू, तो पड़ोसियों का आठ गुना हो जाएगा । इससे क्या फायदा ? अगर मैं दस लाख मांगू, तो पड़ोसियों को बीस लाख मिल जाएगा । प्रार्थना ही व्यर्थ हो जाएगी । इसी उधेड़बुन में आकर उसने भगवान से अपनी एक आंख फूटने का वरदान मांग लिया । अपनी स्वार्थी प्रार्थना के हिसाब से उसने पड़ोसियों को लाभ पहुंचाने की भगवान की शर्त विफल कर दी । पर उसने परिणाम पर तनिक भी विचार नहीं किया । वह काना हो गया और उसके पड़ोसी अंधे ।

अब वह जहां भी जाता, लोग उसे काना कहते और चढ़ाते, पर उसके अंधे पड़ोसियों पर सबको दया आती और वह उन्हें कुछ ना कुछ दे देते । इस तरह उसने अपने लिए कुछ अच्छा करने के बजाय, स्वार्थ में आकर दूसरों के लिए गड्ढा खोदना चाहा और उसी गड्ढे में खुद गिर गया ।

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